उसने हसना सिख लिया था

 


12 वी फेल चित्रपट 2 वेळा पाहिला आणि पुन्हा लिहावेसे वाटले.


कागज पे पिरोये स्याही ने रोके लिख दिया था

हर पाडाव या मुकाम पे उसने हसना सिख लिया था


चाहे कितने ही तुफान या बीजलीके घने बादल मंडराये

भलेही धरती चीरके तप्त लावारस बाहर उमड आये 

फिर भी उसकी नौका को समंदरने सहारा दिया था

हर पाडाव या मुकाम पे उसने हसना सिख लिया था


सब समझ मेहसुस ना करे दिखावे की बवालो में

गिरते संभलते चलते है सभी उजाले के अंधेरे में

खोके सब कूछ इंसानियत निभाने का एक वादा किया था

हर पाडाव या मुकाम पे उसने हसना सिख लिया था


यादों को डटोले पहेली सुलझाते चले सभी

मुस्कुराते हर कदम हार ना मानेंगे अब कभी

किसी गैरको बचाने के लिये बलिदान का जहर पिया था

हर पाडाव या मुकाम पे उसने हसना सिख लिया था


कही अधुरे ना रहे खवाब किसिके इस लिये जुटे रहे

लीखे अनगिनद शब्द पर बिखरनेकी खामोशी से मिटे रहे

आसुओंसे कागज और स्याही का हिसाब चुकता किया था

हर पाडाव या मुकाम पे उसने हसना सिख लिया था


- शुभम

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